Saturday, February 21, 2015

ज़रा ज़रा...

बदलते रहेंगे यूँ ही हालात ज़रा ज़रा
होती रहे गर यूँ बात ज़रा ज़रा

ख्वाबों के चिराग रोशन रहेंगे हमेशा
चाहे ढलती रहे ज़िन्दगी की रात ज़रा ज़रा

तन्हाइयों का कोई शिकवा नहीं करेंगे
होती रहे अगर यूँ ही मुलाक़ात ज़रा ज़रा

इंतज़ार का मज़ा कोई हमसे पूछ ले
कि मिलती है उनसे कोई सौगात ज़रा ज़रा...
-    
- - स्नेहा राहुल चौधरी 

9 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-02-2015) को "महकें सदा चाहत के फूल" (चर्चा अंक-1898) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर :)

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  2. तन्हाइयों का कोई शिकवा नहीं करेंगे
    होती रहे अगर यूँ ही मुलाक़ात ज़रा ज़रा
    बहुत ही खूब ... हर शेर कमाल का है ... दिली दाद कबूल करें ...

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  3. बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना।

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    1. शुक्रिया कहकशां जी :)

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  4. बदलते रहेंगे यूँ ही हालात ज़रा ज़रा
    होती रहे गर यूँ बात ज़रा ज़रा
    गजल छोटी है पर खूबसूरत और उम्दा शेर बस कमाल की ग़ज़ल लिख डाली आज तो ...... स्नेह जी :)

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    1. शुक्रिया संजय जी, ये सब आपलोगों की हौसलाअफजाई का ही नतीजा है :)

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  5. धन्यवाद प्रतिभा जी :)

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मेरा ब्लॉग पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.