Wednesday, September 23, 2015

मोहब्बतें...

तुम्हें बहुत शिकायतें है न...?
कि मैं प्यार नहीं करता
तुमसे
कि मैं ध्यान नहीं रखता
तुम्हारा
कि मैं वक़्त नहीं निकालता
तुम्हारे लिए


मेरा अपनी चीज़ों को बिखेर देना
ताकि तुम उन्हें संवारो...
कुछ ज़रूरी काम भूल जाना
ताकि तुम याद दिलाओ...
तुम्हें बेवज़ह सताना,
कि मैं मनाऊं जब तुम रूठ जाओ...
तुम जानती हो न
कि ये प्यार नहीं तो क्या है....?


है तुम्हें पता और मुझे भी
कि रूमानियत कोई तोहफा नहीं है
कि ये कोशिश है एक आम ज़िन्दगी के
कुछ आम पलों को ख़ास बनाने की
एक दूसरे को अपनी ज़रूरत का एहसास दिलाने की


है तुम्हें पता और मुझे भी
कि रूमानियत कोई ज़िद नहीं है
कि ये तो बस एक विकल्प की चाह है
एक आम ज़िन्दगी से ऊब जाने की
या उसे प्यार से भरकर उसमे डूब जाने की


तो फिर कहो
कि तुम्हारी शिकायतें
तुम्हारी बेपनाह चाहतें है न...!
कि मेरी ये बेपरवाही
मेरी शरारतें है न...!
कि कुछ आम सी मगर बेहद खास
अपनी मोहब्बतें है न...!

© स्नेहा राहुल चौधरी 


[चित्र - गूगल से साभार ]