बदलते रहेंगे यूँ ही हालात
ज़रा ज़रा
होती रहे गर यूँ बात ज़रा
ज़रा
ख्वाबों के चिराग रोशन
रहेंगे हमेशा
चाहे ढलती रहे ज़िन्दगी की
रात ज़रा ज़रा
तन्हाइयों का कोई शिकवा
नहीं करेंगे
होती रहे अगर यूँ ही मुलाक़ात
ज़रा ज़रा
इंतज़ार का मज़ा कोई हमसे पूछ
ले
कि मिलती है उनसे कोई सौगात
ज़रा ज़रा...
-
- - स्नेहा राहुल चौधरी
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-02-2015) को "महकें सदा चाहत के फूल" (चर्चा अंक-1898) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद सर :)
Deleteतन्हाइयों का कोई शिकवा नहीं करेंगे
ReplyDeleteहोती रहे अगर यूँ ही मुलाक़ात ज़रा ज़रा
बहुत ही खूब ... हर शेर कमाल का है ... दिली दाद कबूल करें ...
आभारी हूँ सर :)
Deleteबहुत ही सुंदर और सार्थक रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया कहकशां जी :)
Deleteबदलते रहेंगे यूँ ही हालात ज़रा ज़रा
ReplyDeleteहोती रहे गर यूँ बात ज़रा ज़रा
गजल छोटी है पर खूबसूरत और उम्दा शेर बस कमाल की ग़ज़ल लिख डाली आज तो ...... स्नेह जी :)
शुक्रिया संजय जी, ये सब आपलोगों की हौसलाअफजाई का ही नतीजा है :)
Deleteधन्यवाद प्रतिभा जी :)
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