Saturday, December 3, 2016

चाँद तन्हा है... - मीना कुमारी

दोस्तों, आज अपनी पसंदीदा ग़ज़ल आपसे सांझा कर रही हूँ...

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा


[चित्र: गूगल से साभार]



- मीना कुमारी 

3 comments:

  1. सुंदर शब्दों में जज्बातों को आपने पिरोया है।

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  2. खट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

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  3. दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!

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मेरा ब्लॉग पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.