शरारतों से है, हिमाकतों से है..
ज़िद से है और मोहब्बतों से भी है
बेमुरव्वती से है, तिश्नगी से है
गुरूर से है और सादगी से भी है
तेवरों से है, नर्मियों से है
खूबियों से है और खामियों से भी है
इन लम्हों में इसे समेटूं तो कैसे,
हैं इश्क़ इतना ज़्यादा कि ज़िन्दगी कम पड़ जायेगी...
- स्नेहा राहुल चौधरी
[चित्र : गूगल से साभार ]