जब कभी कोई आशा किसी दुआ से सँभली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
उपवन मेँ भी झूमकर आई बहार
मौसमी के गीत पर खिला हरसिँगार
और गुलबहार जब हँस कर निखरी
चमन मेँ हर तरफ़ खुश्बू ही बिखरी
रजनीगंधा की जो ओस अचानक पिघली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
सुरमई शाम मेँ भी महका एक गीत
चंदा को छूकर झूमा संगीत
तारोँ को जैसे एक सुर मेँ है ढ़ाला
मद्धम मद्धम मुस्कुराती शशिबाला
अठखेली कर गुनगुनाई जो ये हवा पगली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
अप्रतिम, सुंदर, अद्भुत, मनभावन
मिट्टी की सोँधी खुश्बू से खिल उठा ये मन
बहते है कैसे कल कल कल कर
राहोँ के किनारे के छोटे छोटे निर्झर
क्यूँ ये बरखा आँसुओँ मेँ आ ढ़ली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
[written by - Sneha Gupta]
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
उपवन मेँ भी झूमकर आई बहार
मौसमी के गीत पर खिला हरसिँगार
और गुलबहार जब हँस कर निखरी
चमन मेँ हर तरफ़ खुश्बू ही बिखरी
रजनीगंधा की जो ओस अचानक पिघली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
सुरमई शाम मेँ भी महका एक गीत
चंदा को छूकर झूमा संगीत
तारोँ को जैसे एक सुर मेँ है ढ़ाला
मद्धम मद्धम मुस्कुराती शशिबाला
अठखेली कर गुनगुनाई जो ये हवा पगली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
अप्रतिम, सुंदर, अद्भुत, मनभावन
मिट्टी की सोँधी खुश्बू से खिल उठा ये मन
बहते है कैसे कल कल कल कर
राहोँ के किनारे के छोटे छोटे निर्झर
क्यूँ ये बरखा आँसुओँ मेँ आ ढ़ली
न जाने कहाँ से इन आँखोँ मेँ घिर आई बदली ....
[written by - Sneha Gupta]