दुनिया में हर किसी को
कहानी का शौक होता है. कोई कहानी सुनता है, कोई कहानी पढता है, कोई कहानी देखता
है, कोई कहानी कहता है और कुछ जंतु ऐसे भी होते है जो कहानी लिखते है [जैसे कि
मैं]... ये जंतु कहानीकार कहलाते है.
अब इन कहानीकारों की कहानियों
की भी अलग कहानी होती है. कुछ लोग अपनी और अपने जैसी कहानियाँ कहना और सुनना पसंद करते
है... ये लोग कुछ अपनी ज़िन्दगी से और अपने दोस्तों और परिचितों की ज़िन्दगी से
किरदार और परिस्थितियाँ उठाते है और घुमा फिराकर कहानी लिख डालते है.
वही दूसरी प्रजाति के लोग
कहानियाँ बनाना पसंद करते है. ये रचेंगे नितांत अनोखी दुनिया... अजीब से किरदार...
अनजानी परिस्थितियाँ... थोडा रहस्य.. थोडा रोमांच... और इन सबका घालमेल करके
लिखेंगे एक ऐसी कहानी जो साहित्यिक मापदंडों को हरगिज़ पूरा नहीं कर पाती. उदाहरण
के तौर पर फिर से मैं...!
अब अपना नाम लेना ही आजकल
सबसे ज्यादा उपयुक्त है. किसी और का नाम लेने पर कौन जाने कौन नाराज़ हो जाए और
मानहानि का दावा ठोक दे. पता चला कि लिखने बैठे थे कहानी और पहुँच गए कोर्ट कचहरी
के चक्कर में... खैर रब राखा...
हाँ तो अपने बारे में मैं
ये कह रही थी कि अव्वल तो मुझे साहित्यिक कहानियां पढने या लिखने में चुटकी भर भी
रूचि नहीं है. दूसरा कारण ये कि मौजूदा चलन ये है कि आपकी कहानी का साहत्यिक होना
ही काफी नहीं है. उसमे रुन्दन, क्रंदन, ट्रेजडी इत्यादि होना भी उतना ही ज़रूरी है
क्योंकि खुशमिजाज़ कहानियां साहित्यिक नहीं मानी जाती [ध्यान दे – संभ्रांत समाज
में एक खुल कर हसी गयी हंसी आज भी छिछोरापन मानी जाती है]. अगर आप खुश है तो मतलब
आपने ज़िन्दगी की गहराइयों को नहीं जाना... ज़िन्दगी से आपकी भेंट नहीं हुई.. आपमें
अनुभव की कमी है... वगैरह वगैरह... और ऐसे में अगर आपने किसी खुशमिजाज़ कहानी को
साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में लिखने का फैसला किया है तो भैया सावधान! साहित्यिक
आलोचकों के लिए आप आँख बंद करके नदी के किनारे पानी पी रहे मेमने से अधिक नहीं है.
आगे आपकी मर्ज़ी...!
जहाँ तक मेरा सवाल है... तो रोने धोने वाली कहानियाँ
लिखकर अपने पाठकों को कष्ट देने के लिए दिल गवाही नहीं देता...
अब आप कहेंगे गोया ये कहानी
है कि उपदेश!
दोस्तों, ये भूमिका है...
कहानी की भूमिका.. बोले तो प्रीफेस! मैंने तो पहले ही साफ़ कर दिया था कि नियम कानून
पर कहानी हमसे न लिखी जा सकती है न हम लिखेंगे...अब चूंकि आपने मेरी कहानी पढने
में दिलचस्पी दिखाई है और स्वयं अपने हस्तकमलो एवं नयनकमलों से मेरे ब्लॉग को
कृतार्थ किया है तो मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं कहानी के मिजाज़ और तेवर से आपका
परिचय करा दूं ताकि आप बाद में ये न कहे कि एक बकवास कहानी को पढने समय बर्बाद कर
दिया.
तो आइये जाने इस कहानी के
कुछ मुख्य पहलू –
१. कहानी का नाम है – बॉबी!
२. यह एक रोमांचक कहानी है. “कमिंग
ऑफ़ ऐज एडवेंचर स्टोरी” कह सकते है आप इसे.
३. कहानी में अंग्रेज़ी शब्दों एवं
आम बोलचाल की भाषा का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ है.
४. यह कहानी साहित्यिक
दृष्टिकोण से नहीं लिखी गयी है.
५.
कहानी की शैली बिलकुल अलग
है. इसमें सूत्रधार भी एक छद्म पात्र है.
६. मैं देवकीनंदन खत्री और सिडनी शेल्डन की बहुत बड़ी प्रशंसिका हूँ. अगर कहानी में आपको उनकी छाया नज़र आये तो इसे मेरा उनके प्रति समर्पण समझे.
६. मैं देवकीनंदन खत्री और सिडनी शेल्डन की बहुत बड़ी प्रशंसिका हूँ. अगर कहानी में आपको उनकी छाया नज़र आये तो इसे मेरा उनके प्रति समर्पण समझे.
७.
कहानी का मुख्य उद्देश्य
पाठकों को रोमांचित करना है. कहानी में केवल एक बात का ध्यान रखा गया है कि पाठकों
को यह न लगे कि उनका समय बर्बाद हो रहा है.
८.
यह दरअसल एक उपन्यास है और
किश्तों में प्रकाशित होगा.
९.
कहानी की कॉपीराइट सुरक्षित
है.
इतनी लम्बी भूमिका को झेलने
के लिए धन्यवाद!
अब चूंकि आपकी दिलचस्पी अभी
तक बनी हुई है इसलिए आपका धन्यवाद! आइये कहानी के पात्रों से आपका परिचय करवा दूं.
कहानी के चार मुख्य पात्र
है.
१.
नताली मैथ्यूज
२.
अक्की
३. इशांत शर्मा
४.
और ये है हमारी कहानी की
मुख्य नायिका. हरदिलअज़ीज़ बॉबी
अब आपकी प्रतिक्रिया का
इंतज़ार है. अगले पोस्ट से कहानी की शुरुआत होगी.




सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteइन्तजार है कहानी का
शुभकामनायें
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति सर!
Deleteएक अलग अंदाज़ है इस कहानी का ।
ReplyDeleteरोचकता और रोमांच से भरपूर होगी यही उम्मीद करता हूं
इस नई शुरूवात में मेरी शुभकामना आप के साथ है ।
धन्यवाद दिवाकर जी! आशा है आपको कहानी भी पसंद आएगी!
Deleteनए अंदाज़ की कहानी ... रोमांच .. रोचक ... बहुत बधाई ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगंबर सर! उम्मीद है कि कहानी आपकी उम्मीद पर खरी उतरेगी...
Deleteबहुत उम्दा मित्र
ReplyDeleteशुक्रिया शशि :)
Deleteबड़ी उत्सुकता जगा दी ..... नया अंदाज़ ..कमाल का अंदाज़
ReplyDeleteशुक्रिया रजनीश जी.. आशा है आपको कहानी का अंदाज़ भी अच्छा लगेगा...
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद मयंक सर!
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