Monday, February 8, 2016

प्यार के साइड इफेक्ट्स


“सुनो, मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ. प्लीज़, मुझसे शादी कर लो.” उसने बेहद गंभीर आवाज़ में कहा.
“धत पगली, ये भी कोई तरीका है प्रोपोज करने का? पूरी फ़िल्मी हो तुम... चलो, लंच बॉक्स दो मेरा. ऑफिस के लिए देर हो जायेगी.”
वह ठुनकते हुए बोली, “जाओ, तुम तो हमेशा मज़ाक ही उड़ाते हो.”
“तो और क्या करूँ? प्रोपोज करना भी तो नहीं आता तुम्हे.” वह हंसा और लंच बॉक्स उठाकर निकल गया.
लंच करते वक़्त खुश्बूदार बिरयानी और दही कोफ्ते की सुगंध पूरे दफ्तर में फ़ैल गयी तो सहकर्मी ने पूछा, “यार, क्या किया जो ऐसी बीवी मिली?”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “एक महीने तक काली बिल्ली के खुर पूजे थे.”
तभी फ़ोन बजा और स्क्रीन पर “जान” फ़्लैश हुआ. फ़ोन उठाते ही आवाज़ सुनाई दी, “प्लीज़ कर लो न शादी!”
वह फुसफुसाया, “पगली, ऑफिस में काम नहीं है क्या तुम्हे?”
वह हड़बड़ी में बोली, “अरे रेस्टरूम में हूँ. सुनो, मैं क्या सोच रही थी कि भाग के शादी कर लेते है.”
आखिरकार वह ठहाका लगा कर हंसा, “अरे, कर तो ली शादी. अब कितनी बार करूँ?”
अब दूसरी तरफ शिकायती लहजा था, “जाओ, तुम्ही ने तो कहा था कि मैं हमेशा तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनी रहूँगी और तुम मेरे बॉयफ्रेंड रहोगे और हम हमेशा एक दूसरे के साथ डेटिंग और फ्लर्टिंग करते रहेंगे. जाओ, कट्टी तुमसे.” और फ़ोन कट गया.
उसने मुस्कुराकर फ़ोन देखा और लंच ख़त्म कर के अपने काम में लग गया. एक घंटे बाद हाफ डे लेकर वह घर पहुंचा. पूरे घर में जगह जगह गुलाब के फूल लगाए और मोमबत्तियां जलाई. जब वह घर पहुंची तो घुटनों पर बैठकर एक फूल उसे देते हुए उसने कहा, “ज़िन्दगी से भी प्यार करता हूँ तुमसे. जीवन भर मेरा साथ दोगी?”
उसके चेहरे पर नूर आ गया. मुस्कुराई, “हाँ, मरने के बाद भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ूंगी.”
“अरे यार!” उसने घबराने का नाटक किया, “बीवी चाहिए, चुड़ैल नहीं...”
“ये प्यार के साइड इफेक्ट्स है.” अब ठहाके वह लगा रही थी, “प्यार करने वाली बीवी के साथ कभी पीछा न छोड़ने वाली चुड़ैल फ्री...”
और वह हंसती रही. वह मुस्कुराकर कुछ पल उसे हँसते हुए देखता रहा और उसकी हंसी को अपनी अंतरात्मा में सहेजता रहा और थोड़ी देर बाद उसने उसकी हंसी पर अर्ध विराम लगा दिया...


स्नेहा राहुल चौधरी

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-02-2016) को ''चाँद झील में'' (चर्चा अंक-2248)) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    चर्चा मंच परिवार की ओर से स्व-निदा फाजली और अविनाश वाचस्पति को भावभीनी श्रद्धांजलि।

    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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मेरा ब्लॉग पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.