करता क्यों नहीं मेरे लिए दुआ आज कोई
क्या रहा नहीं मेरा यहाँ आज कोई
मेरी ज़ुरूरत नहीं रह गयी शायद अब किसी को
देता नहीं मुझको सदां आज कोई
गुमसुम सी शक्लें खामोश सारे होठ,
करेगा मेरा दर्द कैसे बयाँ आज कोई
यूं ग़मज़दा होकर सब बैठे हैं महफ़िल में,
हो गयी हो जैसे चाहत फ़ना आज कोई
क्यों लिपटा रखा है मुझे सफ़ेद चादर में इस तरह
हो गयी क्या मुझसे फिर खता आज कोई
- स्नेहा गुप्ता
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
ReplyDeleteधन्यवाद,
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए !!!
शुक्रिया
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