Saturday, April 21, 2012

करता क्यों नहीं




करता क्यों नहीं मेरे लिए दुआ आज कोई
क्या रहा नहीं मेरा यहाँ आज कोई

मेरी ज़ुरूरत नहीं रह गयी शायद अब किसी को
देता नहीं मुझको सदां आज कोई

गुमसुम सी शक्लें खामोश सारे होठ,
करेगा मेरा दर्द कैसे बयाँ आज कोई

यूं ग़मज़दा होकर सब बैठे हैं महफ़िल में,
हो गयी हो जैसे चाहत फ़ना आज कोई

क्यों लिपटा रखा है मुझे सफ़ेद चादर में इस तरह
हो गयी क्या मुझसे फिर खता आज कोई

- स्नेहा गुप्ता


2 comments:

  1. आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
    धन्यवाद,

    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए !!!

    ReplyDelete

मेरा ब्लॉग पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.