ऐ खुदा अपनी अदालत मेँ मेरे सबाबोँ की ज़मानत रखना
मैँ अगर मर भी जाऊ, मेरे दोस्तोँ को सलामत रखना
जो बाँटे कभी तू नियामतेँ अपने इस जहाँ मेँ
याद रहे अपने ज़ेहन मेँ तू मेरी ये इबादत रखना
जो हो कभी तो मुआफ़ कर देना मेरे दोस्तोँ का हर गुणाह
या फिर हर सुनवाई मेँ मेरी रूह को ही अदालत रखना
तूने ही बनाया इस जहाँ मेँ ये सबसे प्यारा रिश्ता
तू अपनी ही निग़हबानी मेँ इस रिश्ते की हिफ़ाज़त रखना
और गिरा कभी ग़म का कोई कतरा मेरे दोस्तोँ की आँखोँ से
तू तैयार कायनात को करने को बर्दाश्त मेरा अश्क-ए-कयामत रखना
ऐ खुदा अपनी अदालत मेँ मेरे सबाबोँ की ज़मानत रखना
तेरी हिफ़ाज़त मेँ मेरे दोस्तोँ की खुशी, तू महफ़ूज़ मेरी ये अमानत रखना
आमीन ।
( - स्नेहा )
मैँ अगर मर भी जाऊ, मेरे दोस्तोँ को सलामत रखना
जो बाँटे कभी तू नियामतेँ अपने इस जहाँ मेँ
याद रहे अपने ज़ेहन मेँ तू मेरी ये इबादत रखना
जो हो कभी तो मुआफ़ कर देना मेरे दोस्तोँ का हर गुणाह
या फिर हर सुनवाई मेँ मेरी रूह को ही अदालत रखना
तूने ही बनाया इस जहाँ मेँ ये सबसे प्यारा रिश्ता
तू अपनी ही निग़हबानी मेँ इस रिश्ते की हिफ़ाज़त रखना
और गिरा कभी ग़म का कोई कतरा मेरे दोस्तोँ की आँखोँ से
तू तैयार कायनात को करने को बर्दाश्त मेरा अश्क-ए-कयामत रखना
ऐ खुदा अपनी अदालत मेँ मेरे सबाबोँ की ज़मानत रखना
तेरी हिफ़ाज़त मेँ मेरे दोस्तोँ की खुशी, तू महफ़ूज़ मेरी ये अमानत रखना
आमीन ।
( - स्नेहा )
very nice. sneha ji.. liked it..
ReplyDeletethank you very much alokji
ReplyDeletebeautiful expressions !!!
ReplyDeleteu did it well.
Nice read.
बहुत धन्यवाद ज्योतिजी
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