तुम तस्वीरें बनाना चाहते हो न…?
कैसे बनाओगे?
बना पाओगे
मेरे उन आंसुओं की तस्वीरें
जो कभी मेरी आँखों से छलकी ही नही …. ?
खींच पाओगे
एक रेखाचित्र
मेरे उस दर्द का
जो तुमने कभी महसूस ही नहीं किया …?
कौन से रंगों में ढालोगे
मेरे जले हुए सपनो की राख को…. ?
कैसे उकेरोगे
उन रंगों को
जो मेरी पलकों के नीचे
सपनो की ख़ाक जमने से बनी है ....?
तुमने कहा था कि तुम कलाकार हो
तुम्हे खुद पर भरोसा तो है न ...?
क्यूंकि तुम हमेशा मेरी मुस्कुराहटो में ही क़ैद होकर रह गये….
- स्नेहा गुप्ता
01/04/2013 12:17 AM